आनंद सूत्र
क्या हम दुष्टों के बीच कभी खुशियां मना सकते हैं l क्या ईमानदार और सच्चा इंसान दुष्टों आत्माओं के साथ रहकर कभी खुशी की कल्पना कर सकता है। जो मजदूर दिन भर खून और पसीना बहा कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा होता है। उसे उसकी 8 घंटे की खरी मेहनत का मेहनताना आज तक कोई उससे दिला पाया है। बड़ा आश्चर्य सा लगता है हम आनंद सूत्र और खुशियों की बात इन सज्जन इंसानों के बीच में खड़े होकर करते हैं। हम आपको खुशी और आनंद से जीने के सूत्र बता रहे हैं। जिसने कभी भरपेट खाना ना खाया हो उसे बड़े जोर की भूख सता रही हो तब हम उससे कहें कि हम आपको आनंद से जिओ। उससे तो भूख सता रही है वह हमारी बात कैसे सुने गा। हजारों पुस्तक पढ़ने से अच्छा है एक ही पुस्तक पढ़ कर समझ लेना बेहतर है।