आनंद (सुक़ून) वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।” आनंद (सुक़ून) वाह्यलोक नही, अंतर्मन का वासी है।” उसे बाहर नहीं भीतर खोजें। 😊प्रणय प्रभात😊