***आनंद सभी मिलकर लूटे***
विचारों की श्रंखला न टूटे।
वादे कभी न करना झूठे।।
कोई किसी से न रूठे।
अंतर्मन में निर्मल झरने फूटे।।
जीवन ऐसे ही चले सबका।
आओ एक बनाएं तबका।।
मिले खुशियां हर जन को।
आनंद सभी मिलकर लूटे।।
तकरार करो न जीवन में।
बात बिठा लो यह मन में।।
मानवता की छोड़ चले निशानी।
पता नहीं अनुनय,
किस पल सांसों के तार टूटे ।।
राजेश व्यास अनुनय