आधुनिकता
आधुनिकता को लिए अब,क्या से क्या हम हो गये।
देखकर बस लाभ अपना ,स्वार्थ में हम खो गये।
खोजते हैं घूमकर हम, फल मुहब्बत का वहीं-
बीज नफरत का जहाँ पर, हर जगह हम बो गये।
आधुनिकता को लिए अब,क्या से क्या हम हो गये।
देखकर बस लाभ अपना ,स्वार्थ में हम खो गये।
खोजते हैं घूमकर हम, फल मुहब्बत का वहीं-
बीज नफरत का जहाँ पर, हर जगह हम बो गये।