आधुनिकता की मार
** आधुनिकता की मार **
// दिनेश एल० “जैहिंद”
फैशन का बोलबाला, अंग्रेजी का अब हल्ला,
लगा हिंदी को ताला, __भाषा बद हाल है ।
अभद्रता में गच है, __यही आज का सच है,
नंगाई खचाखच है, ___ओढ़े खल-खाल है ।।
दौर ये लाजवाब है, नहीं कोई जवाब है,
सबके बड़े ख्वाब है, नहीं कोई मलाल है ।
आधुनिकता का शोर, अब चहुँ ओर होड़
बने रिवाजों को तोड़, हाल तो बेहाल है ।।
हैं फैशन के पुजारी, _हो नगद या उधारी,
आई इंडिया की बारी, अंग्रेजों की चाल है ।
लोक लाज दूर गए, __नौ युग में डूब गए,
सभ्यता तो भूल गए, __संस्कृति हलाल है ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
18. 11. 2017