आधी दौलत, पूरी शौहरत.
आधी दौलत, पूरी शौहरत
जमाना भी अजीब बदला है,
इंसान ने पहनावा ही नहीं,
जीने का तरीका, सलीका,
और तो और,
बार बार, अपना चेहरा भी बदला है.
थोड़ा कमाया, पूरा गंवाया,
झूठे देख दिखावे के,
चक्कर में, जो भी था,
इंसान ने सब कुछ लुटा दिया.
एक जमाना था, जब पैसे,
बचाना, एहम माना जाता था,
नयी नयी, एहशाइशों , ने,
मगर, एसा न होने दिया.
बहुत पढाई की, बहुत आगे बढा,
बहुत महनत की, खूब कमा लिया,
पैसों के साथ साथ,
ख्वाइशें, भी बढने लगी,
बेफिजूल के शौक, उसने पाल लिए,
उन्हें पूरा करने में लगा रहा.
धीरे धीरे, पैसे खत्म हो चले,
आधी दौलत, पूरी शौहरत,
…………..का उसे सबक मिल गया.