Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Sep 2017 · 3 min read

आधा हिंदुस्तान सफर में रहता है

चौकिये मत ….जी हां….. यही सच्चाई है, आधा हिंदुस्तान सफर में रहता है। अरे…अरे विश्वास नहीं होता तो जनाब जरा बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन का मुआयना कर लीजिये। इस बात से आप भी इंकार नहीं कर सकते कि एक बड़ी आबादी प्रतिदिन सफर में रहती है। एक बड़ी आबादी के प्रतिदिन सैर-सपाटा करने के वाबजूद रेलवे स्टेशन एवं बस स्टेण्ड मूलभूत सुविधाओं का मोहताज दिख रहा है। धरातल पर सच्चाई का पता लगाने के लिये जब उत्तर प्रदेश के झाँसी मण्डल का निरीक्षण किया। स्थिति बेहद ही नाजुक और गम्भीर दिखाई पड़ रही थी जिसे देखकर दिलों-दिमाग में सिर्फ एक सवाल जन्म ले रहा था कि मण्डल के मुख्य रेलवे स्टेशन का जब ये हाल है तो अन्य रेलवे स्टेशन की तस्वीर क्या होगी? यात्रियों के लिये प्रत्येक श्रेणी के अलग-अलग एक एक प्रतीक्षाग्रह होने के वाबजूद महिलाएं, पुरुष एवं बच्चे सड़क पर होने को बाध्य दिख रहे थे कुल मिलाकर यह कहना बिल्कुल भी अनुचित नही होगा कि मण्डल मुख्यालय के मुख्य रेलवे स्टेशन पर बने प्रतीक्षालय रायते में जीरे के बराबर साबित हो रहे है क्योंकि प्रतीक्षालय में बमुश्किल 36 कुर्सी पड़ी होगी जो यात्रियों के साथ तू डाल-डाल, मैं पात-पात का खेल खेलने का कार्य करती प्रतीत हो रही। निरीक्षण के दरम्यान पाया कि टिकट बुकिंग हाल , प्रतीक्षालय एवं स्टेशन द्वार के साथ -साथ नन्हें-मुन्ने बच्चों सहित यात्री अपनी गाड़ी के इंतजार सड़क पर करने को विवश मिले जिससे वह सही समय पर अपनी यात्रा को आगाज से अंजाम तक पहुँचा सके और अपने शौक , अपनी जरूरत को पूरा कर सके। रेलवे स्टेशन व बस स्टैण्ड पर सुविधाओं को लेकर हमारे जनप्रतिनिधि हमारी सरकारें बड़ी-बड़ी ढींगे तो हांकती है लेकिन गहराई से इन तथ्यों की जाँच करें तो परिणाम बेहद ही निराशाजनक मिलेंगे। जिस स्टेशन से हजारों यात्री नियमित यात्रा करते है उस स्टेशन पर प्रतीक्षालय के रूप में महज कुछ लोगों की व्यवस्था क्या यही है सुविधाओं युक्त रेलवे स्टेशन? रेलवे स्टेशनों पर अक्सर देखने को मिल जायेगा अपना सफर तय करने के लिये सैकड़ो लोग प्लेटफार्म, टिकट हॉल के साथ साथ पैदल पुल और स्टेशन के बाहर अव्यवस्थित तरीके से अपनी गाड़ी की प्रतीक्षा को मजबूर होते है। सड़कों पर इंतजार कर रहे यात्रियों के आस-पास आवारा जानवर भी घूमते आराम फरमाते बड़े ही आसानी से देखे जा सकते है। रेलवे की ओर से अक्सर सुनने को मिलता है कि “यात्रियों की सेवा में हम सदैव तत्पर है।” लेकिन वर्तमान में जिन हालातों से रेलवे स्टेशन जूझ रहे है यदि गम्भीरता और वास्तविकता से आंकलन किया जाये तो यह पंक्ति हास्यपद साबित होगी जो यात्रियों के साथ भद्दा मजाक के सिवाय और कुछ नही है। यदि वास्तव में यात्रियों की मूलभूत सुविधाओं एवं सुरक्षा के लिये रेलवे वचनबद्ध है तो कम से कम उसे ऐसे रेलवे स्टेशनों पर रैन बसेरा का निर्माण अवश्य कराना चाहिये जँहा यात्री सड़क पर सोने को मजबूर है। बड़े रेलवे स्टेशनों पर रैन बसेरा बन जाने से यात्री अव्यवस्थित तरीके से न सिर्फ सड़क पर आवारा जानवरों के साथ वक्त गुजारने पर मजबूर होंगे बल्कि खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे। अपनी कलम को विराम देते हुये एक यात्री होने के नाते मै सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि साहब भ्रमित नहीं काम कीजिये क्योंकि प्रतिदिन आधा हिंदुस्तान सफर में रहता है

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 238 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*कैसे हम आज़ाद हैं?*
*कैसे हम आज़ाद हैं?*
Dushyant Kumar
आई दिवाली कोरोना में
आई दिवाली कोरोना में
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
2985.*पूर्णिका*
2985.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Pain changes people
Pain changes people
Vandana maurya
सब कुछ दुनिया का दुनिया में,     जाना सबको छोड़।
सब कुछ दुनिया का दुनिया में, जाना सबको छोड़।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ख़त्म होने जैसा
ख़त्म होने जैसा
Sangeeta Beniwal
गांव में छुट्टियां
गांव में छुट्टियां
Manu Vashistha
क्या हुआ जो तूफ़ानों ने कश्ती को तोड़ा है
क्या हुआ जो तूफ़ानों ने कश्ती को तोड़ा है
Anil Mishra Prahari
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक अबोध बालक
एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
क्यों करते हो गुरुर अपने इस चार दिन के ठाठ पर
क्यों करते हो गुरुर अपने इस चार दिन के ठाठ पर
Sandeep Kumar
वक़्त होता
वक़्त होता
Dr fauzia Naseem shad
बुंदेली दोहा -गुनताडौ
बुंदेली दोहा -गुनताडौ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वक्त बदलते ही चूर- चूर हो जाता है,
वक्त बदलते ही चूर- चूर हो जाता है,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
तोहमतें,रूसवाईयाँ तंज़ और तन्हाईयाँ
Shweta Soni
💐प्रेम कौतुक-381💐
💐प्रेम कौतुक-381💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
पूर्वार्थ
जितनी शिद्दत से
जितनी शिद्दत से
*Author प्रणय प्रभात*
प्रेम पत्र बचाने के शब्द-व्यापारी
प्रेम पत्र बचाने के शब्द-व्यापारी
Dr MusafiR BaithA
कैसे कांटे हो तुम
कैसे कांटे हो तुम
Basant Bhagawan Roy
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
Sukoon
घर के राजदुलारे युवा।
घर के राजदुलारे युवा।
Kuldeep mishra (KD)
छुट्टी का इतवार( बाल कविता )
छुट्टी का इतवार( बाल कविता )
Ravi Prakash
एक हसीं ख्वाब
एक हसीं ख्वाब
Mamta Rani
⭕ !! आस्था !!⭕
⭕ !! आस्था !!⭕
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
हे री सखी मत डाल अब इतना रंग गुलाल
हे री सखी मत डाल अब इतना रंग गुलाल
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मिट्टी बस मिट्टी
मिट्टी बस मिट्टी
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
चिल्हर
चिल्हर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गज़ल
गज़ल
Mahendra Narayan
प्यासा मन
प्यासा मन
नेताम आर सी
Loading...