Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2017 · 1 min read

आधा सावन बीत गया है, बालम मोहे मन भाने दो

कब से मुझसे कहते साजन
सावन को तुम आने दो
आधा सावन बीत गया है
बालम मोहे मन भाने दो।

रँगबिरँगी खिलती कलियाँ
कहती कर लूँ सोलह श्रृंगार
दिल में दर्द जगा जाता है
पपीहे की वो करुण पुकार
इस सावन में मुझको भी तुम
प्यार सदा बरसाने दो

आधा सावन बीत गया है
बालम मोहे मन भाने दो।

जब तुम मुझको छोड़ गए थे
वो भी ऐसा सावन था
तब से पल पल बरसी अँखियाँ
दिल में हर पल साजन था
आँखों की इस बारिश को तुम
जरा प्रिये थम जाने दो

आधा सावन बीत गया है
बालम मोहे मन भाने दो।

बिन तेरे होली दीवाली
सब सूनी सूनी लगती है
रातों में अब नींद न आये
दिनभर अँखियाँ जगती हैं
अब तो आ जाओ मेरे साजन
हाथों मेंहदी रंग जाने दो

आधा सावन बीत गया है
बालम मोहे मन भाने दो।

लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’ (भोपाल)

Language: Hindi
Tag: गीत
413 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
शेखर सिंह
खुशी की तलाश
खुशी की तलाश
Sandeep Pande
"वो कलाकार"
Dr Meenu Poonia
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
दोहा पंचक. . . नारी
दोहा पंचक. . . नारी
sushil sarna
पिता की आंखें
पिता की आंखें
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
अश्लील साहित्य
अश्लील साहित्य
Sanjay ' शून्य'
दो शरण
दो शरण
*Author प्रणय प्रभात*
नहीं घुटता दम अब सिगरेटों के धुएं में,
नहीं घुटता दम अब सिगरेटों के धुएं में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Be with someone you can call
Be with someone you can call "home".
पूर्वार्थ
औरत
औरत
Shweta Soni
विपरीत परिस्थिति को चुनौती मान कर
विपरीत परिस्थिति को चुनौती मान कर
Paras Nath Jha
धिक्कार
धिक्कार
Shekhar Chandra Mitra
*अभी भी शादियों में खर्च, सबकी प्राथमिकता है (मुक्तक)*
*अभी भी शादियों में खर्च, सबकी प्राथमिकता है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
अगर आपके पैकेट में पैसा हो तो दोस्ती और रिश्तेदारी ये दोनों
अगर आपके पैकेट में पैसा हो तो दोस्ती और रिश्तेदारी ये दोनों
Dr. Man Mohan Krishna
फिर मिलेंगें
फिर मिलेंगें
साहित्य गौरव
सुखी होने में,
सुखी होने में,
Sangeeta Beniwal
अड़बड़ मिठाथे
अड़बड़ मिठाथे
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
चंदा का अर्थशास्त्र
चंदा का अर्थशास्त्र
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जल धारा में चलते चलते,
जल धारा में चलते चलते,
Satish Srijan
"परिवार एक सुखद यात्रा"
Ekta chitrangini
"इस्राइल -गाज़ा युध्य
DrLakshman Jha Parimal
गरीबी तमाशा
गरीबी तमाशा
Dr fauzia Naseem shad
आज कल कुछ इस तरह से चल रहा है,
आज कल कुछ इस तरह से चल रहा है,
kumar Deepak "Mani"
भारत मां की पुकार
भारत मां की पुकार
Shriyansh Gupta
दोहावली
दोहावली
Prakash Chandra
दशरथ मांझी होती हैं चीटियाँ
दशरथ मांझी होती हैं चीटियाँ
Dr MusafiR BaithA
क्या देखा
क्या देखा
Ajay Mishra
चाहत नहीं और इसके सिवा, इस घर में हमेशा प्यार रहे
चाहत नहीं और इसके सिवा, इस घर में हमेशा प्यार रहे
gurudeenverma198
"ज्यादा मिठास शक के घेरे में आती है
Priya princess panwar
Loading...