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16 Mar 2020 · 1 min read

आधा आधा

सपने बिना नयन है आधा
अपने बिना रिश्ते हैं आधा
मुस्कान बिना अधर है आधा
सामान बिना बाजार है आधा
सुर बिना संगीत है आधा
प्रीत बिना मनमीत है आधा
जीवन बिना जगत है आधा
प्रजा बिना राजा है आधा
रंग बिना गुलशन है आधा
नेह बिना जननी है आधी
सृंगार बिना रमनी है आधी
खुशबू बिना कलियां है आधी
सूरज बिना सुबह है आधी
चन्द्र बिना चकोर है आधा
मोती बिना शीपी है आधी
दिया बिना बाती है आधी
नारी बिना नर है आधा
इस जगत में साथी
सब है आधा – आधी
तुम भी आधे हम भी आधे
कौन है जो अकेले इसको साधे
भक्त के बिना तो भगवान भी दिखे हैं आधे
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 514 Views
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