आदि शक्ति , पहचानो निज को ….तीन मुक्तक—
.आदिशक्ति –
आदिशक्ति हो हे नारी तुम, जग का अर्ध बसेरा हो,
ममता दया क्षमा त्याग और प्रेम भाव का डेरा हो |
जागो उठो चलो साहस कर, कदम मिला सारे जग से,
दुनिया से तम मिटे, नवोदित जग हो नया सवेरा हो |
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.तुम चाहो तो-
चाहे जितना असत जाल हो, जग अज्ञान अन्धेरा हो,
नारी यदि तुम चाहो जग में, नीति न्याय का डेरा हो |
आदर्शों की बातें संतति के मन में तुम ही भरतीं,
सत्य व निष्ठा संस्कार का सारे जग में बसेरा हो |
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कार्य शक्ति-
आद्यशक्ति हो, मातृशक्ति हो, नर का आधा जग तुम ही हो,
श्रृद्धा इला तुम ही हो मनु की, प्रथम यज्ञ की ज्योति तुम्हीं हो |
विस्मृत ब्रह्मा की स्फुरणा, भ्रमित मनु की ज्ञान दृष्टि हो,
नारी अपने को पहचानो, कार्य शक्ति नर की तुम ही हो |