Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Oct 2022 · 3 min read

आदर्श शिक्षक

हर दिन की उस दिन भी वर्ग में उनसे पहले आ पहुंचे | जो बच्चा उनके वर्ग जाने के बाद जाता था उसकी तो खैर नहीं | उनका खौफ़ इतना था कि बच्चे साँस भी उनकी मर्जी के बगैर नहीं लेते थे | उनका खौफ़ पूरे विद्यालय भर में देखा जा सकता था |

हमारे विद्यालय में लगभग सबसे बुजुर्ग शिक्षक वही थे, नाम से भी बुजुर्ग हि थे, उनका नाम रामलोचन ‘भगत’ था | उनकी आयु यही कोई 50 से 60 वर्ष के बीच रही होगी, फिर भी उतने आयु के लगते नहीं थे | अपने स्वास्थ्य का बेहद ख्याल रखते थे, शरीर तो हट्टा-कट्टा नहीं था लेकिन निरोग जरूर था | खैर, वर्ग में सभी छात्र उनका इंतजार कर रहे थे, उनके डर से सभी बच्चे एकदम शांत होकर बैठे हुए थे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मानो सभी मौन धारण की मुद्रा में थे | समय बीता उनकी घंटी समाप्त हो गई पर वो वर्ग में नहीं आए और बाद में पता चला कि आज तो वे विद्यालय आए ही नहीं थे | ये बात अचंभित करने वाली थी और सबके मन में एक ही सवाल आ रहा था कि जो हमलोगों को हमेशा नियमित रहने को कहते हैं और खुद भी नियमित रहते हैं आज वो खुद अनुपस्थित कैसे? जैसा हम सभी बच्चे अनुमान कर सकते थे, शायद उनके नहीं आने के पीछे कोई बड़ा कारण रहा होगा |

अगले दिन फिर वे अनुपस्थित ही रहे | सभी को लगा कि शायद किसी काम में फँस गए होंगे या उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा | उसी दिन विद्यालय के प्रधानाध्यापक हमारे वर्ग में आकर सभी को सूचित किए कि भगत सर अभी बीमार चल रहे हैं, उन्हें पिछले दिन ही दिल का दौरा आया था | कुछ बच्चे इस बात से बहुत चिंतित हुए और ईश्वर से यह प्रार्थना करने लगे कि भगत सर जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाएं, वही कुछ बच्चे उनके विद्यालय नहीं आने से खुश ही थे क्योंकि उनके विद्यालय नहीं आने से अनुशासन की धज्जियां उड़ाई जा रही थी, एक वही ऐसे शिक्षक थे जो अनुशासन पर विशेष ध्यान देते थे अगर कोई बच्चा उनके सामने अनुशासनहीनता करता था तो वह तुरंत ही उस बच्चे को कठोर से कठोर दंड देते थे | शायद यही कारण रहा होगा कि बच्चे ईश्वर से यह दुआ कर रहे थे कि अब वह कभी विद्यालय आए ही नहीं | ये वे बच्चे हैं जो भविष्य के बारे में नहीं सोचते हैं, ये वे बच्चे हैं जो अपनी बूरी आदत को नहीं बदलना चाहते हैं | वास्तव में हम जैसे बच्चों को एक सख्त, कठोर और अनुशासित शिक्षक की कमी खल रही थी |

आज भगत सर के अनुपस्थिति का लगभग एक महीना पूरा हो गया | सभी बच्चे और शिक्षक प्रार्थना करने के लिए प्रार्थना सभा में आए | पता नहीं क्यों आज सब कुछ अजीब सा लग रहा था | शिक्षकों के मुँह पे उदासी थी | प्रार्थना समाप्त हुआ, प्रधानाध्यापक महोदय मंच पर आए और विषाद स्वर में यह जानकारी दी कि रामलोचन भगत जी अब इस दुनिया में नहीं रहे, पुणे की मृत्यु गंभीर दिल के दौरे से हो गई | प्रधानाध्यापक महोदय ने सबों से 2 मिनट मौन धारण करने का निवेदन किया |

सारे बच्चे भावुक हो गए | आज उन बच्चों का भी हृदय पिघल गया जो कभी उनकी अनुपस्थिति में खुशियां मना रहे थे, सभी की आंखें नम थी | सारे बच्चे उनसे एक बार मिलकर, बातें करने की ख्वाहिश जाहिर करने लगे, पर अब ऐसा संभव नहीं था, अब वह इस दुनिया में नहीं हैं | वास्तव में वह एक आदर्श शिक्षक थे, उनके पढ़ाने का तरीका अद्वितीय था |
सभी बच्चे उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर भगवान से उनके आत्मा को शांति देने की प्रार्थना की…………..

4 Likes · 3 Comments · 229 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
'प्रहरी' बढ़ता  दंभ  है, जितना  बढ़ता  नोट
'प्रहरी' बढ़ता दंभ है, जितना बढ़ता नोट
Anil Mishra Prahari
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
गलतियां वहीं तक करना
गलतियां वहीं तक करना
Sonam Puneet Dubey
4041.💐 *पूर्णिका* 💐
4041.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
होते फलित यदि शाप प्यारे
होते फलित यदि शाप प्यारे
Suryakant Dwivedi
इन आँखों ने उनसे चाहत की ख़्वाहिश की है,
इन आँखों ने उनसे चाहत की ख़्वाहिश की है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
সেই আপেল
সেই আপেল
Otteri Selvakumar
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
Munish Bhatia
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
“सुरक्षा में चूक” (संस्मरण-फौजी दर्पण)
DrLakshman Jha Parimal
जय हो जय हो महादेव
जय हो जय हो महादेव
Arghyadeep Chakraborty
यह अपना धर्म हम, कभी नहीं भूलें
यह अपना धर्म हम, कभी नहीं भूलें
gurudeenverma198
मनुष्य और प्रकृति
मनुष्य और प्रकृति
Sanjay ' शून्य'
कौशल
कौशल
Dinesh Kumar Gangwar
-  मिलकर उससे
- मिलकर उससे
Seema gupta,Alwar
आजा माँ आजा
आजा माँ आजा
Basant Bhagawan Roy
Even If I Ever Died
Even If I Ever Died
Manisha Manjari
"अजीब दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ नमी अपने साथ लाता है
कुछ नमी अपने साथ लाता है
Dr fauzia Naseem shad
कौन कहता है गर्मी पड़ रही है
कौन कहता है गर्मी पड़ रही है
Shweta Soni
तेरा लहज़ा बदल गया इतने ही दिनों में ....
तेरा लहज़ा बदल गया इतने ही दिनों में ....
Keshav kishor Kumar
Beginning of the end
Beginning of the end
Bidyadhar Mantry
वसुंधरा की पीड़ा हरिए --
वसुंधरा की पीड़ा हरिए --
Seema Garg
आसान नहीं होता घर से होस्टल जाना
आसान नहीं होता घर से होस्टल जाना
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
मु
मु
*प्रणय*
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
Sandeep Kumar
Some friends become family, & then you can't get rid of 'em.
Some friends become family, & then you can't get rid of 'em.
पूर्वार्थ
*हर समय सरल व्यवहार रखो, कटु बातों से परहेज करो (राधेश्यामी
*हर समय सरल व्यवहार रखो, कटु बातों से परहेज करो (राधेश्यामी
Ravi Prakash
माँ
माँ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
कृष्णकांत गुर्जर
Kashtu Chand tu aur mai Sitara hota ,
Kashtu Chand tu aur mai Sitara hota ,
Sampada
Loading...