आदर्श पुत्र।
आदर्श पुत्र।
-आचार्य रामानंद मंडल।
गोपालपुर गाम मे दूगो परिवार रहे।पुरबारी टोला मे गरीबन दास अपन पत्नी जसोदा आ बेटा फूदन दास के संगे रहे।फूदन दास गाम के प्राइमरी स्कूल मे पंचायत शिक्षक रहे।वोकर बिआह भे गेल रहे।गरीबन दास छोट मोट गृहस्थ रहलन। अप्पन खेती बारी करे।जैइमे शिक्षक रहला के बाबजूद फूदन अप्पन बाबू के खेती बारी मे संग देबे।फूदन के पत्नी अपन सास के संगे घर के काज संभाले।गरीबन दास भैंसी भी पाले। सुबह सांझ गरीबन भैंसी दूंहे त फूदन अपना गमछा से माछी के उड़ाबे आ डौंस के मारे।त जसोदा धुंआ धुकुर करे।शेष समय मे गरीबन दास भक्ति भजन करे।गरीबन दास कबीर पंथी रहलन दाढ़ी केश बढैले रहलन ।गला में तुलसी के कंठी रहे।कंठी मे एकेटा बड़का तुलसी के दाना रहे। उजर चनन नाक से उपर माथा तक रहे।आस पड़ोस मे कहीं भंडारा होय त दुनू बापते जाय। धीरे धीरे फूदन दास भी कबीर पंथ के अनुआयी भे गेल रहे।माय बाप के आज्ञाकारी रहे।वो स्कूल में भी बच्चा सभ के खूब पढाबे।वो व्यवहार कुशल रहे।
पछियारी टोला मे रामपूजन शर्मा अपन पत्नी सुमित्रा आ बेटा आशुतोष संगे रहे। रामपूजन शर्मा बगल के गाम सोनपुर के वित्त रहित उच्च विद्यालय मे सहायक शिक्षक रहलन।वो एकटा संपन्न किसान भी रहलन। आशुतोष पढे में बड़ा तेज रहे। पटना इंजिनियरिंग कॉलेज से पास कैला के बाद अमेरिका के एगो कंपनी में काज करे लागल। बाद में वहीं अप्पन सहकर्मी से प्रेम बिआह क लेलन। वहीं रहे लगनन। मोबाइल से माय बाबू से बात करैत रहलन। रुपया भेजे के कहियो जरूरत न पड़ल।
परंच सेवा निवृत्त बुढ बाप आ माय के जे पुत्र से प्रेम आ सेवा मिले के चाही वो आशुतोष देबे में असमर्थ हो गेलन। बाबू माय मोबाइल से लाख कहलन कि आशुतोष तू अब इंहा आ जा। हमरा पुतोहु के भी ले आबा।हम तोरा आ अपन पुतोहु के देखे के चाहे छी। तोरा इंहा कोन कमी हौअ। तोरा कमाय के कोनो जरुरी न हौअ।परंच आशुतोष कहे कि पापा अंहा के पुतोहु लोलिता जाय के लेल तैयार न हैय। लोलिता कहै हैय कि भारत के क्लाइमेट मे हम सरभाइव न कर पायब आ पापा वो प्रिगमेंट भी हैय।
पापा हमरा माफ क दूं।हम भारत न आय पायब। रामपूजन शर्मा आ सुमित्रा बिमार पड़ गेल। बेटा पुतोहु से मोह तोरैत दुनिया से गुजर गेलन।गाम के देयाद मे के भाई संतोष मोबाइल से सभ समाचार आशुतोष के देलक। आशुतोष कहलक हम अभी बच्चा के हास्पीटल में छी। हमरा बेटा जनम लेलक हैय।एहन परिस्थिति मे तू सभ काम क्रिया कर दोहु।हम दू लाख रुपया तोरा खाता में ट्रांसफर क देउ छियौ।देयाद आ गाम के लोग सभ मिल के दुनू गोरे के एके चिता पर राखि के दाह संस्कार क देलक। मुखाग्नि देलक देयाद के भतिजा संतोष।खुब भोज भात भेल लेकिन रामपूजन शर्मा के एकलौता पुत्र आशुतोष न आयल।वोकर संपत्ति के देखरेख संतोष करैत हैय।अन्न उपजा के बेच के संतोष, आशुतोष के खाता में ट्रांसफर क दैइत हैय।
कुछ दिन बाद गरीबन दास बिमार पर लन।फूदन दास अपना बाबू के खुब सेवा कैलन।स्कूल से छुट्टी लेके दिन रात एक टांगि पर खड़ा रहलन। लेकिन बाबू सतलोक चल गेलन।फूदन कबीर पंथ के अनुसार अपन बाबू गरीबन दास के समाधि देलन। जैमे देयाद संगे गाम के सभ लोग भाग लेलन।साधु सत्संग भेल। भंडारा भेल।गाम के सभ लोग फूदन के बड़ाई करैत हैय। भगवान फूदन जैसन बेटा सभ के देत परंच आशुतोष जैसन बेटा दुश्मनो के न देत।फूदन अपना पत्नी संग अपना माय के खूब सेवा करैत हैय।फूदन आइ गाम मे आदर्श पुत्र मानल जाइत हैय।
स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।