आदमी
कभी टूटे खिलोने के लिए रोये
कभी टूटे दिल से भी मुस्कराये
जाने कौन सी मिट्टी से बना है आदमी
सूखकर, टूटकर , बिखरकर
फिर से खिल जाये
,,,,लक्ष्य@myprerna
कभी टूटे खिलोने के लिए रोये
कभी टूटे दिल से भी मुस्कराये
जाने कौन सी मिट्टी से बना है आदमी
सूखकर, टूटकर , बिखरकर
फिर से खिल जाये
,,,,लक्ष्य@myprerna