आदमी
आदमी
आदमी ही आदमी पर वार करता है I
जंग का ऐलान करता है I
आज की दुनिया में राक्षश जरूरी नहीं ,
मनुष्य ही खुशियों का नाश करता है I
हिंसा ,आक्रोश ,गुस्से को जन्म दे,
ऐसे काम करता हैI
आदमी ही आदमी को निराश करता है I
नष्ट कर दे प्रकृति और धरती को ,
ऐसे पैतरे इजात करता हैI
आज हालात यूँ है ,
इंसान ही इंसान का दुःख नहीं समझता I
इंसानियत का कत्ल ,
वो सरेआम करता है II