आदमी होना जरूरी है
आज फिर आदमी का आदमी होना जरूरी है ।
जो पाया है उसी में से ही कुछ खोना जरूरी है ।।
उसके आंसू हुए पत्थर उसे खुश हाल न समझो ।
उसका एक बार इत्मीनान से रोना जरूरी है ।।
अगर ये चाहते हो कि फसल खेतों में लहराए ।
घनी मिट्टी में संचित बीज को बोना जरूरी है ।।
समय की गर्द से रिश्ते भी धूमिल हो ही जाते हैं ।
इन्हें स्नेह के जल से सतत धोना जरूरी है ।।
जो ली है जिम्मेदारी तो उसे अब बोझ न मानो ।
अगर वह बोझ भी है तो उसे ढोना जरूरी है ।।