आदमी हैं जी
आज हम तुम बस बिन सुने सामने से गुजर जाता है आदमी है जी स्वार्थ और उम्मीद के साथ बिन सुने सामने से गुजर जाता है आदमी है जी रिश्ते नाते सच अब निभाते हैं बस बिन सुने सामने से गुजर जाता है आदमी है जी जिंदगी के साथ कागज पर दस्तखत कर पहचान भूल जाता हैं। बिन सुने सामने से गुजर जाता है आदमी है जी सच तो रंगमंच पर किरदार निभाते हुए बिन सुने सामने से गुजर जाता है आदमी है जी आओ समय को समझना होगा, हम सभी को एक दूसरे को सहयोग देना हैं। मानवता के साथ चलना वरन् बिन सुने सामने से गुजर जाता है आदमी है जी नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र