आदमी ही आदमी से खौफ़ खाने लगे
आत्मीय आवोहवाओं को छोड़कर जिसे देखो वही?
अब दिखावे की ज़िंदगी जीए जाने लगे हैं.
रिशते नाते भी नफा नुकसान की तराजू मे हिंचकोले खाते
अब आदमी ही तो आदमी से खौफ़ खाने लगे हैं.
शायर©किशन कारीगर
आत्मीय आवोहवाओं को छोड़कर जिसे देखो वही?
अब दिखावे की ज़िंदगी जीए जाने लगे हैं.
रिशते नाते भी नफा नुकसान की तराजू मे हिंचकोले खाते
अब आदमी ही तो आदमी से खौफ़ खाने लगे हैं.
शायर©किशन कारीगर