Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Dec 2024 · 1 min read

*आदमी में जानवर में, फर्क होना चाहिए (हिंदी गजल)*

आदमी में जानवर में, फर्क होना चाहिए (हिंदी गजल)
_________________________
1)
आदमी में जानवर में, फर्क होना चाहिए
होश चाहे जो परिस्थिति, हो न खोना चाहिए
2)
कौन जाने कल सुबह का, सूर्य हम देखें नहीं
इस तरह से कार्य निपटा, रोज सोना चाहिए
3)
मृत्यु के भी बाद में है, अनवरत यात्रा बड़ी
जेब में कुछ तो रहे यों, पुण्य बोना चाहिए
4)
तीर्थ में जाकर हृदय की, वासनाऍं छोड़ दें
इस तरह तन और मन का, मैल धोना चाहिए
5)
ओढ़ कर मुस्कान नकली, फिर रहा जो विश्व में
रोज रुदन हेतु उसको, एक कोना चाहिए
_________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

14 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

बूढ़े भूतों का गाँव
बूढ़े भूतों का गाँव
Vivek Pandey
साथ रहोगे
साथ रहोगे
Rambali Mishra
2962.*पूर्णिका*
2962.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वेला है गोधूलि की , सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)
वेला है गोधूलि की , सबसे अधिक पवित्र (कुंडलिया)
Ravi Prakash
गिलहरी
गिलहरी
Satish Srijan
लक्ष्य
लक्ष्य
Sanjay ' शून्य'
- उसकी कशिश मुझको उसकी और खीचती जाए -
- उसकी कशिश मुझको उसकी और खीचती जाए -
bharat gehlot
अपने मन के भाव में।
अपने मन के भाव में।
Vedha Singh
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
मैं अपने सारे फ्रेंड्स सर्कल से कहना चाहूँगी...,
Priya princess panwar
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
Rj Anand Prajapati
हँसी आज दिल पे /ग़ज़ल
हँसी आज दिल पे /ग़ज़ल
Dushyant Kumar Patel
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
कवि रमेशराज
कुछ दर्द कुछ खुशियां
कुछ दर्द कुछ खुशियां
Sunil Maheshwari
तू शौक से कर सितम ,
तू शौक से कर सितम ,
शेखर सिंह
परवरिश
परवरिश
Deepali Kalra
झुमका
झुमका
अंकित आजाद गुप्ता
#यादें_बचपन_की।
#यादें_बचपन_की।
*प्रणय*
पागल
पागल
Sushil chauhan
बड़ी अजब है जिंदगी,
बड़ी अजब है जिंदगी,
sushil sarna
लपेट कर नक़ाब  हर शक्स रोज आता है ।
लपेट कर नक़ाब हर शक्स रोज आता है ।
Ashwini sharma
राना लिधौरी के बुंदेली दोहे बिषय-खिलकट (झिक्की)
राना लिधौरी के बुंदेली दोहे बिषय-खिलकट (झिक्की)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अपनी ज़िक्र पर
अपनी ज़िक्र पर
Dilip Bhushan kurre
" ढूँढ़ना "
Dr. Kishan tandon kranti
इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
Gouri tiwari
अपना जीना कम क्यों हो
अपना जीना कम क्यों हो
Shekhar Chandra Mitra
गीतिका
गीतिका
Mahesh Jain 'Jyoti'
कुछ नहीं बचेगा
कुछ नहीं बचेगा
Akash Agam
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार—
Shreedhar
सुनो मुहब्बत जब नफरत में बदलती है......
सुनो मुहब्बत जब नफरत में बदलती है......
shabina. Naaz
एक हद मुकर्रर करो
एक हद मुकर्रर करो
Minal Aggarwal
Loading...