*आदमी में जानवर में, फर्क होना चाहिए (हिंदी गजल)*
आदमी में जानवर में, फर्क होना चाहिए (हिंदी गजल)
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1)
आदमी में जानवर में, फर्क होना चाहिए
होश चाहे जो परिस्थिति, हो न खोना चाहिए
2)
कौन जाने कल सुबह का, सूर्य हम देखें नहीं
इस तरह से कार्य निपटा, रोज सोना चाहिए
3)
मृत्यु के भी बाद में है, अनवरत यात्रा बड़ी
जेब में कुछ तो रहे यों, पुण्य बोना चाहिए
4)
तीर्थ में जाकर हृदय की, वासनाऍं छोड़ दें
इस तरह तन और मन का, मैल धोना चाहिए
5)
ओढ़ कर मुस्कान नकली, फिर रहा जो विश्व में
रोज रुदन हेतु उसको, एक कोना चाहिए
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451