आदमी भटक जाता है
मन भले ही दुख दर्द में अटक जाता है
ख्वाब! ख़्वाब है जो दूर तलक जाता है
हालात खराब हों तब भी ख़्वाब नहीं
डगमगाते
फिर आदमी न जाने क्यों भटक जाता है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
मन भले ही दुख दर्द में अटक जाता है
ख्वाब! ख़्वाब है जो दूर तलक जाता है
हालात खराब हों तब भी ख़्वाब नहीं
डगमगाते
फिर आदमी न जाने क्यों भटक जाता है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी