आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।
आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।
ये रेतीले लम्हात कहाँ किसी के बस में होते हैं ।
ख़ुदा की रहमत जो मिल गयी इक रात वरना –
ज़मीं पे दिन-रात कहाँ किसी के बस में होते हैं ।
सुशील सरना
आदमी के हालात कहां किसी के बस में होते हैं ।
ये रेतीले लम्हात कहाँ किसी के बस में होते हैं ।
ख़ुदा की रहमत जो मिल गयी इक रात वरना –
ज़मीं पे दिन-रात कहाँ किसी के बस में होते हैं ।
सुशील सरना