आदमी के भीतर
अंततः बीहड़ जंगल प्रवेश कर चुका है
आदमी के भीतर-
मेरे हृदय से प्रेम उतर रहा है
धीरे-धीरे, शनैः-शनैः
और मेरे भीतर का खूँखार जानवर
धर रहा है
विकराल रूप;
मेरे दाँत धीरे-धीरे परिवर्तित हो रहे है
खूंटी जैसे दाँतों में
या यूँ कहिए
मेरे अंदर कोई भेड़िया समा गया है।