आदमी की आदमी से दोस्ती तब तक ही सलामत रहती है,
आदमी की आदमी से दोस्ती तब तक ही सलामत रहती है,
जब तक कि वो एक दूसरे की अपेक्षाओं पे खड़े उतरता है।
उसे एक दूसरे की विषम परिस्थिति से कुछ लेना-देना नहीं!
वो हर हाल में दूसरों के सहयोग की उत्कट इच्छा रखता है!
वरना बना बनाया महल ताश के पत्ते की तरह ढह जाता है।
…. अजित कर्ण ✍️