आदमीयत चाहिए
आदमी में आदमीयत चाहिए
आदमी में नेक आदत चाहिए
ज़िन्दगी कट जाय केवल इसलिए
आदमी के पास दौलत चाहिए
हो कभी अम्बार दौलत का नहीं
आदमी का भाव आरत चाहिए
स्वर अनाहत ही उठे कवि-कलम से
मगर होना हृदय आहत चाहिए
शत्रु का प्रतिकार करना हो अगर
कम नहीं, भरपूर ताकत चाहिए
कवि मरे, मरता रहे किसको फिकर
उसे तो बस दिली चाहत चाहिए
जो परीक्षा से बचे वह वीर क्या
पीर का वह करे स्वागत चाहिए
हों कृपालु महेश जिस पर वह जिये
उसे कब कुछ खास राहत चाहिए?
महेश चन्द्र त्रिपाठी