आदत से मजबूर
आदत से मजबूर हैं हम।
लेकिन तेरे मशकूर है हम
हर पल तूने है साथ दिया
तुझ को अपना मान लिया।
ये सारी खुशियां, सारे ग़म
तेरे संग ही जियेगें हम ।
अब काहे की मुझे फिक्र है
ये जिंदगी इक हसीं सफ़र है।
तेरा मेरा साथ न टूटे
हाथों से हाथ न छूटे।
सुरिंदर कौर