आदतें और आदमी
आदतें मनुष्य खुद इख्तियार करता है,
उसी से चरित्र बनता है,
चरित्र से मनुष्य की छवि,
बुरी आदतें,
वे होती हैं,
जिनके साथ जीना,
मुश्किल हो जाता है,
सीमाओं का उल्लंघन,
मनोबल को क्षीण कर देती है.
आज समाज में सरेआम.
परोसें जाने वाली शराब,
तंबाकू उत्पाद.
शारिरिक क्षमता को तबाह कर रही हैं,
सभी को छोड़ देना चाहिए.
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सैर सपाटा, व्यायाम, फलाहार, सात्विक, पौष्टिक भोजन , अध्ययन/अध्यापन, गरीब/मजदूर की आर्थिक सहायता, स्वस्थ-वृत्त का पालन,
ये सब सहज भाव से मेरे आभूषण की तरह मेरी सजावट है.