आत्म साध्य विचार
आत्म साध्य कर
भाग दौड़ के जीवन से
वक्त निकाल शांति की खोज में
घूम आया शमशान मैं
देख धधकती चिताओं को
भ्रम जीवन का छोड़ आया मैं
वक्त जब मेरा आएगा
यूँही जलाया जाऊंगा
घमंड अपने अस्तित्व का छोड़ आया मैं
स्वस वायु में
खाल आग में
राख मिट्टी में
हड्डियाँ जल में
अस्तित्व ब्रम्हांड में
विलीन होते देख आया मैं
वक्त मिलते ही
घूम आया शमशान मैं ||
नीरज मिश्रा ” नीर ” बरही मध्य प्रदेश