Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2020 · 1 min read

आत्म-शोधन

उद्वेग,भावना विद्वेष से
जाज्वल्यमान हो
विचरता रहा पथिक
कभी भाव शून्य हो
तो कभी उद्वेलित
किसी जलपात्र सादृश्य
न जाने क्या-क्या ,
विचारता रहा पथिक
महत्वकांक्षाओं की वो,
विचित्र विमान में कभी
तो कभी इच्छाओं को..
सन्तुलित कर
एक कुशल तैराक- सा
अग्रेषित होता रहा वो
आत्मविश्वास से प्रतिदीप्त हो
हो कभी प्रगतिशील रहा
सजग होकर इस
संघर्ष-ब्रह्माण्ड में,
चेतनशील रहा।
कभी हठधर्मिता का पालन कर,
जीवन का स्वाध्याय किया उसने।
ध्येय लेकर जीवन की
जटिलताओं का पुनरावलोकन कर
जीवन-संकल्प का अध्याय,
लेखन प्रारम्भ किया उसने
कभी भावातिरेक की लहरों में,
दूर कहीं प्रवाहित हुआ।
तो कभी सत्य-असत्य के
ज्वार से प्रकम्पित हुआ।
कभी डोलायमान रहा
हिमगिरि-सा वो
तो चलायमान रहा,
कभी जीवन-चक्र सादृश्य
इस तरह ही केवल
विचरता रहा पथिक..
उद्वेग,भावना विद्वेष से
जाज्वल्यमान हो
विचरता रहा पथिक..
बस विचरता रहा पथिक..

भारत भूषण पाठक”देवांश”

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 748 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तन्हाई चुराने में पूरी ज़िंदगी निकाल दी गई,
तन्हाई चुराने में पूरी ज़िंदगी निकाल दी गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कोई नही है अंजान
कोई नही है अंजान
Basant Bhagawan Roy
मेरे भईया
मेरे भईया
Dr fauzia Naseem shad
कोई मिठाई तुम्हारे लिए नहीं बनी ..( हास्य व्यंग कविता )
कोई मिठाई तुम्हारे लिए नहीं बनी ..( हास्य व्यंग कविता )
ओनिका सेतिया 'अनु '
$ग़ज़ल
$ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
आकर्षण मृत्यु का
आकर्षण मृत्यु का
Shaily
रंगों में रंग जाओ,तब तो होली है
रंगों में रंग जाओ,तब तो होली है
Shweta Soni
"कुछ दबी हुई ख़्वाहिशें है, कुछ मंद मुस्कुराहटें है,
शेखर सिंह
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
🙅उजला पक्ष🙅
🙅उजला पक्ष🙅
*प्रणय*
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
Sangeeta Beniwal
विषधर
विषधर
Rajesh
अस्त- व्यस्त जीवन हुआ,
अस्त- व्यस्त जीवन हुआ,
sushil sarna
तू नहीं है तो ये दुनियां सजा सी लगती है।
तू नहीं है तो ये दुनियां सजा सी लगती है।
सत्य कुमार प्रेमी
जो विष को पीना जाने
जो विष को पीना जाने
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता)
अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
कवि दीपक बवेजा
गीत
गीत
Shiva Awasthi
4588.*पूर्णिका*
4588.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तू ना मिली तो हमने
तू ना मिली तो हमने
VINOD CHAUHAN
"" *तथता* "" ( महात्मा बुद्ध )
सुनीलानंद महंत
"एक नाविक सा"
Dr. Kishan tandon kranti
रूप से कह दो की देखें दूसरों का घर,
रूप से कह दो की देखें दूसरों का घर,
पूर्वार्थ
ग़रीबी तो बचपन छीन लेती है
ग़रीबी तो बचपन छीन लेती है
नूरफातिमा खातून नूरी
गांव और वसंत
गांव और वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
"तब तुम क्या करती"
Lohit Tamta
क़ुर्बानी
क़ुर्बानी
Shyam Sundar Subramanian
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
लापता सिर्फ़ लेडीज नहीं, हम मर्द भी रहे हैं। हम भी खो गए हैं
Rituraj shivem verma
Loading...