आत्म बोध
डॉ अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
* आत्म बोध *
सिसकियाँ अब और नहीं
मोह को मैं दूंगा त्याग ।
लगाव जो पीड़ा देने लगे
उसको दूंगा तिलांजलि ।
सिसकियाँ अब और नहीं । …..
देख लिया चाहत सदा से
बन जाती है कमजोरियाँ ।
स्व – भाव को कुंठित कर
बाधा बन जाती है विकास में ।
निर्णय लिया इस लिए
मोह को मैं दूंगा त्याग ।
सिसकियाँ अब और नहीं । ….
हो मेरी प्रगति में रुकावट
किसी भी वस्तु या व्यक्तित्व की ।
नहीं जरूरत अब उसकी मुझको
ऐसे किसी परिदृश्य की ।
मैं अकेला था आया जग में
रहना अकेले ही पड़ेगा ।
जाऊंगा उस दिन अकेला
जो दिन मेरे लिए सुनिश्चित होगा ।
मोह को मैं दूंगा त्याग ।
सिसकियाँ अब और नहीं । ….