आत्मीय मुलाकात –
मेरे लिए बहुत खास मिलन था
जो कभी भुलाया नहीं जा सकता
उस रिश्ते का नाम कुछ नहीं था
उसमें न उम्र की बराबरी थी
न जन्म का रिश्ता नाता था
वो ही एक प्रथम मिलन था
जिससे सुखद अहसास हुआ था
कहां से आया था,
कहां उसे जाना था….
कहां उसका ठिकाना था
मायने यह भी नहीं रखता
बस बातों ने ही रूह को छूं लिया था
जीवन के सफर में गर
किसी से आत्मीय मुलाकात
हो तो उसे नहीं भुलाना
बल्कि मधुर याद बनाना
स्मृति की किताब में सहेज रखना।
– सीमा गुप्ता