” आत्मा से शरीर “
हेलो किट्टू !
” आए है इस जहां में , जंग जीत कर ही जायेंगे ।
कोई अपना किरदार निभाए या ना निभाए ,
हम अपने वसूलों को अमर कर जायेंगे ।। ”
वैसे तो सब जानते है कि ये शरीर और आत्मा एक दुसरे के पूरक है । शरीर मरता है आत्मा नहीं । कुछ आज मैंने भी महसूस किया है ।
ये आत्मा ही है जो हर एहसास का आधार है । पता है जब इस तन को कोई भी पीड़ा पहुंचता है या किसी तरह की तकलीफ़ होती है तो ये आंखें रोती है सिर्फ इसलिए नहीं कि दर्द महसूस करती हैं । आंखों का काम तो सिर्फ देखना है ।
हमारी आंखें इसलिए बहती है क्योंकि उन्हें इस बात का अफ़सोस रहता है कि ये हमारी आत्मा जो इस शरीर में रूह बनकर रहती है इतनी कमजोर है कि इस शरीर की रक्षा नहीं कर सकती । ये शरीर इस रूह की एक जिम्मेदारी है जिसे विधाता ने अपनी अमानत के तौर पर हमें सौंपा है ।
और अपना अपना किरदार निभाने के लिए इस दुनिया में ।
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️