आत्महत्या
**********आत्महत्या ************
*******************************
कुंठित ,विषाद,निराशा,एकांत,नादानी है
आत्महत्या अपरिपक्वता की निशानी है
जब अपना कोई कहर कर्म है कमा जावे
सीने नहीं पर पीठ पीछे खंजर चला जावे
जीवन की राहों में घोर अंधेरा फैला जावे
फिर भी ये खुद की खुद से की बेईमानी है
आत्महत्या अपरिपक्वता की निशानी है
चहुं ओर चिन्ताओं ने जब पाया घेरा हो
दुनिया में नजर नहीं आ रहा तेरा मेरा हो
सपनों का साकार नहीं हो रहा सवेरा हो
लगे यह देन ओरों की दी कारशैतानी है
आत्महत्या अपरिपक्वता की निशानी है
मन विचलित, व्यथित, आहत हो जाए
जब सामने रास्ता नजर कोई नहीं आए
बुद्धि पर काल का साया राह भटकाए
दिलोदिमाग पे छा जाती तब परेशानी है
आत्महत्या अपरिपक्वता की निशानी है
समस्याओं का खुदकुशी कोई हल नहीं
दुर्लभ मानुष जन्म, मिले पुनर्जन्म नहीं
हौसले हो अडिग, उठते ऐसे कदम नहीं
सुखविन्द्र मौत ऐसी मरो बने कुर्बानी हैं
आत्महत्या अपरिपक्वता की निशानी है
कुंठित,विषाद,निराशा, एकांत,नादानी है
आत्महत्या अपरिपक्वता की निशानी है
*******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)