आत्मविश्वास
आत्मविश्वास
लक्ष्य अपना हो सामने फिर डर कैसा
हाथ जब हो मात पिता का फिर डर कैसा
बाधाएं और विपत्तियां आकर चली जाएंगी
आत्मविश्वास मन से हो फिर डर कैसा
प्रयास तुम्हारे अवश्य ही सफल हो जाएंगे
अभेद्य से अभेद्य लक्ष्य भी प्राप्त हो जाएंगे
सौ बार गिर कर भी यदि उठना सीख लिया
देर से ही सही तुम्हारे काम सारे हो जाएंगे
इति
इंजी संजय श्रीवास्तव
बीएसएनएल, बालाघाट, मध्यप्रदेश