आत्मविश्वास।
माना कि वक्त बलवान है,
पर इंसान तू भी तो आम नहीं,
वक्त भी ये माने एक दिन,
कि परेशानियों से तू परेशान नहीं,
वक्त चाहे जितना डराए तुझे,
एक दिन वक्त को दिखा दे तू,
जी ज़िंदगी कुछ इस ढंग से,
कि जीवन को जीना सिखा दे तू ,
आंधियों का रुख भी मोड़ दे जो,
भरी विश्वास से तेरी आवाज़ हो,
छोड़ जा दुनिया में निशां ऐसे,
कि मौत को भी तुझपे नाज़ हो,
हर शह हो जाए रौशन तुझसे,
दिल में जलती ऐसी मशाल हो,
सदियों याद करे ज़माना तुझको,
तेरा जीवन एक ऐसी मिसाल हो,
वक्त मुसीबत कितनी भी लाए,
पर ये मस्तक ना झुकने पाए,
हर तूफान थमेगा एक दिन,
जो बढ़ते कदम ना रुकने पाए,
माना कि कुछ मुश्किलों ने,
विश्वास तेरा बिखराया था,
मुश्किलें भी ना भूल पाए लेकिन,
कि कौन उनसे से टकराया था,
हर शाम होगी रौशन एक दिन,
आज मुश्किलों का मज़ा ले ले,
आसानी से मिलती ना मंज़िल कोई,
बहारों से पहले ख़िज़ां लेले,
खुली आंख से जब देखा सपना,
फिर तू क्यों घबराता है,
सब्र का दामन ना छोड़ ऐ साथी,
ये वक्त तुझे आज़माता है,
इंसान ऐसा तू एक बता,
जिसने दुख ना झेला यहां,
हर मुकाम पर पहुंचा वही,
जो मुश्किलों से खेला यहां,
ये दुनिया एक समंदर है,
जीवन-कश्ती डगमगाती ही है,
बाधाओं से मन बेशक हो व्याकुल,
उम्मीद की लौ जगमगाती ही है।
कवि-अंबर श्रीवास्तव