” आत्मनिर्भरता विश्वविद्यालय “
” आत्मनिर्भरता विश्वविद्यालय ”
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
====================
सुना है ” आत्मनिर्भरता विश्वविद्यालय “खुल गया है ,
कोई हमारा भी दाखिला करबा दो ,
हमें आत्मनिर्भरता का पाठ पढा दो !!
पता लगा वीरान जंगल में
” आत्मनिर्भरता विश्वविद्यालय ”
की स्थापना हो चुकी है ,
ना रस्ते का पता
ना पगडंडियों का ठिकाना ,
चल पड़े नंगे पाँव
ललक थी आत्मनिर्भर बनने का !!
आखिर कितने दिनों तक
दुसरे राज्यों में याचक बने रहेंगे ?
खून -पसीने से अपना
अस्तित्व खोते रहेंगे ?
अपने देश में ही हमको
अस्पृश्यता की निगाहों से
हमें देखते हैं !
कोई धर्मों के तराजू से
हमें तौलते हैं !!
कोई हमें अपने रहमों करम का
आश्रित सोचता है !
आखिर हम भी इन्सान हैं
हमारी हालत को देख किसी ने
” आत्मनिर्भरता विश्वविद्यालय ” बनाया !
हमें जीने का सही राह दिखाया !!
वीरान जंगल में एक टूटी झोपडी मिली ,
उसके गुम्बज पर एक विशाल बैनर लगा हुआ था !
लिखा था विश्व का अनोखा ” आत्मनिर्भरता विश्वविद्यालय “!!
फीस तो जमके देनी पड़ी ,
जो मजदूरी मिली थी उसको चढ़ानी पड़ी !!
ना क्लास रूम ,
ना शिक्षक का पता ,
चारो तरफ जंगल ही जंगल
ना कोई पुस्तकालय
ना कोई मनोरंजन ,
हमने एक पुराने छात्र से पूछ लिया —
“भला यह कौन सा ” आत्मनिर्भरता विश्वविद्यालय ” है ?
सपने तो हमको यूँ ही दिखाते हैं !!
“पुराने छात्र ने थोडा दम लिया
और फिर कहा —
” भाई इसी को तो कहते हैं
” आत्मनिर्भरता ‘
आपके आत्मनिर्भरता के लिए
अनुदान भी तो मिल रहा है ,
बस आप थोडा कर्ज लें ,
आजन्म तक भरते रहें ,
इस तरह आप ” आत्मनिर्भर ” बन जायेंगे ,
और अपने ” आत्मनिर्भरता विश्वविद्यालय ” के स्नातक कहलायेंगे !!
=========================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत