आत्मज उदित के जन्मदिवस पर
हवा संदली तुमको लोरी सुनाए
सुबह गुनगुनी कान में गुनगुनाए
हों सुमनों से सज्जित तुम्हारी फिजाएं
सदा खुश रहो हैं हमारी दुआएं
सितारे हो झिलमिल तुम्हारी निशा मे
चिरागों की जगमग मिले हर दिशा में
अंधेरा कभी सामने आ न पाए
सदा खुश रहो हैं हमारी दुआएं