आत्मजा
पुत्री तुमने गोद में आकर मुझको कितना बड़ा बनाया
पहले तो मैं साधारण था तुमने ही तो पिता बनाया
सारी खुशियां भर दी तुमने आखिर मेरी झोली में
लेकिन मैं नादान कभी भी कुछ भी तुमको दे न पाया
है यही प्रार्थना ईश्वर से तुम जो कुछ चाहो तुम्हें मिले
जीवन हो भले तपोवन सा उसमें करुणा के फूल खिलें