*आते हैं जो पतझड़-वसंत, मौसम ही उनको मत जानो (राधेश्यामी छंद
आते हैं जो पतझड़-वसंत, मौसम ही उनको मत जानो (राधेश्यामी छंद)
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आते हैं जो पतझड़-वसंत, मौसम ही उनको मत जानो
जीवन के दौर यही होते, सब आसपास हैं पहचानो
जो समय आज जैसा बीता, कल परिवर्तन वह पाएगा
जो बीत गया सो बीत गया, कल नया समय फिर आएगा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451