आ,तुझ को तुझ से चुरा लू
आ तुझ को तुझ से चुरा लू
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आ , तुझ को तुझ से चुरा लू,
प्यार से तुझे दिल में बसा लू।
ख्वासिश है यह आखरी मेरी,
तुझ को मै अपना ही बना लू।।
कजरे की जगह तुझे लगा लू,
बंद नयनों में मै तुझे बसा लू।
तुम मेरे श्याम हो मै राधा तेरी,
यह मोहनी सूरत तेरी बसा लू।।
गजरे की जगह तुझे लगा लू,
बालो में तुझ को मै सजा लू।
खश्बू आती रहेगी तेरी मुझे,
आ तुझ को मै पास सुला लू।।
सिंदूर हो तुम सुहाग भी मेरे,
प्रिय प्रियतम जीवन के मेरे।
तुम बिन जीवन कैसे बिताऊं,
सात फेरे लेलो साथ तुम मेरे।
होठों की लाली हों तुम मेरे,
लाली आती नही है बिन तेरे।
स्पर्श करू कैसे तेरे लबों का,
समझ आती नही है अब मेरे।।
मंगल सूत्र तुम्हे मै बना लू,
गले में तुमको मैं लटका लू।
दिल के पास रहोगे तुम मेरे,
कैसे तुमको मैं अब भुला लू।।
मेरे जीवन के भरतार हो मेरे,
मै नाव हूं तुम पतवार हो मेरे।
भवसागर से पार उतारो मुझे,
मेरे जीवन के खिवैया हो मेरे।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम