आतंक और भारत
पहाड़ सा संकल्प है, क्या कोई विकल्प है।
जागकर जगाना भी, अपना यही प्रकल्प है।।
है घूम रहे आसपास, हिजबुल्ला और हमास।
यदि नहीं जगे अभी, तो कौन रोकेगा विनाश।।
समय नहीं विमर्श का, न बात कोई हर्ष का।
ये प्रश्न व्यक्ति का नहीं, है प्रश्न भारतवर्ष का।।
है वक्त सोने का नहीं, नजर घुमाओ देखलो।
हो सापों से घिरे हुए, कैसे बचोगे सोच लो।।
धर लो धार शास्त्र पे, तैयार कर लो टोलियां।
खुशी खुशी है झेलनी, सीने पे अपने गोलियां।।
ये युद्ध चेतना का है, है युद्ध शस्त्र शास्त्र का।
ये खेल चौसर का नही, है युद्ध अपने राष्ट्र का।।
जय हिंद