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25 Feb 2018 · 1 min read

आतंकवाद !

** आतंकवाद **
¤ दिनेश एल० “जैहिंद”

समाजवाद की अगवाई करते-करते,,
ये मानवमन आतंकवाद में डूब गया ।।
पीछे छूट गया परिवारवाद अब तो,,
राष्ट्रवाद हमारा कब का लूट गया ।।

जंगली वहशीपन अबतलक क्योंकर,,
हमारे मनुष्य – तन से दूर गया नहीं ।।
पार किए कई चरण सभ्यता के हमने,,
फिर भी मन में हमारे अब दया नहीं ।।

बीज हैवानियत-दरिंदगी के पड़े रहे,,
इन्हें हम ना मिटा पाए किसी हाल में ।।
दहशत फैलाए बैठे हैं विश्व भर में हम,,
आज भी आतंक छिपा हमारी खाल में ।।

आतंकवाद समाधान नहीं हकदारी का ।।
नक्सलवाद निदान नहीं समझदारी का ।।
अमन-चैन से रहने दो हम इंसानों को,,
जियो-जीने दो, छोड़ो पथ मारामारी का ।।

===≈≈≈≈≈≈≈≈====
दिनेश एल० “जैहिंद”
12. 07. 2017

Language: Hindi
289 Views

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