आतंकवाद
एक कुंडली प्रयास आतंकवाद पर
आतंकी गठजोड़ से,मची देश में त्राहि।
जतन करो रोक लो,फैल रही है तबाही।।
फैल रही तबाही,देशहित कौन हो आगें।
रोक सके जो इसे,ऐसा अब मानुस जगे।।
कहे संध्या सुन लो,अब तुम मेरे ये बात।
समय रहते बुझ लो,निकल जाये न ये रात।।
✍संध्या चतुर्वेदी