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7 Jan 2021 · 1 min read

आड मे लोकतनत्र

लोकतंत्र कीआड़ मे चल रहा धनतंत्र ।किसान के दिल से पूछिये ।कि कैसे होते है सरकारी काम।बिना लेन देन किये न पटवारी राम राम ।किसान आज भी परतंत्र है।लोकतंत्र की आड़ मे चल रहा धनतंत्र है।आज तक नही लिख पाये हैं गरीबी की परिभाषा ।यही लोकतंत्र की अभिलाषा।करमचारी ओ के इशारे पर खडा है अभियंत्र।ल़ोकतंत्र की आड़ मे चल रहा धनतंत्र।

Language: Hindi
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