आड मे लोकतनत्र
लोकतंत्र कीआड़ मे चल रहा धनतंत्र ।किसान के दिल से पूछिये ।कि कैसे होते है सरकारी काम।बिना लेन देन किये न पटवारी राम राम ।किसान आज भी परतंत्र है।लोकतंत्र की आड़ मे चल रहा धनतंत्र है।आज तक नही लिख पाये हैं गरीबी की परिभाषा ।यही लोकतंत्र की अभिलाषा।करमचारी ओ के इशारे पर खडा है अभियंत्र।ल़ोकतंत्र की आड़ मे चल रहा धनतंत्र।