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13 Oct 2024 · 1 min read

आडम्बरी पाखंड

मीठे मीठे उद्गार करें,
वचनों में बड़ी मधुरता हैं.
तुमसे मांगे निज भोजन को,
मीठे बातों का रेला कर.
भूखा नंगा छूटा लंपट,
न कमा सके एक धेला हैं.
बांते करते हैं दर्शन की,
ज्ञानी विद्वान कहाते हैं,
करते आडम्बर ऊंच नीच,
और दिल में भरा कोयला हैं.
अब समय आ गया जाग उठो,
कब तक चुंगल में तडपोगे.
अपना-अपना अध्याय लिखों,
तब नील गगन में चमकोगे.
निराकार परमेश्वर तो,
हर मानव के अंदर रहता हैं.
तो क्यों पूजों केवल पत्थर,
हर घर में ईश्वर बैठा हैं.
मंदिर मस्जिद गिरजाघर केवल,
केवल बिजनेस का रेला हैं,
आपस में सभी लड रहें हैं,
इसने हर एक पेला हैं.
अब भी हैं समय जाग जाओ,
मां बाप ही केवल ईश्वर हैं.
छोड़ों पाखंड अंधपन को,
ये तो केवल एक दर्शन हैं.
नहीं बहकावे में आना हैं,
बच्चों को खूब पढ़ाना हैं.
गिनती हो गई उल्टी चालू,
अब तुमको तो बौहाना हैं.
अपने लोगों तुम ध्यान धरों,
न कोई ईश्वर आयेगा.
अब छोड़ों खौफ मदारी का,
अब हमभी खेल दिखायेंगे.
इनके दिल में घुसकर इनको,
हम सारी रात सतायेंगे.
शिक्षा एकमात्र सहारा हैं,
दुनिया को शौर्य दिखाने का.
इनकी ही नींद हराम नहीं,
सदियों तक नींद हराम तो हो.

श्याम सिंह लोधी राजपूत “तेजपुरिया”

1 Like · 15 Views
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