#आज_की_बात
■ आज_की_बात
तमाम बार हमें सामाजिकता विरुद्ध बर्ताब का सामना करना पड़ता है। इसका मतलब यह नहीं कि हम भी असामाजिक हो जाएं। हमारा दायित्व अपने भाव और स्वभाव को बनाए रखना है। यदि वो अच्छा हो तो।
【प्रणय प्रभात】
■ आज_की_बात
तमाम बार हमें सामाजिकता विरुद्ध बर्ताब का सामना करना पड़ता है। इसका मतलब यह नहीं कि हम भी असामाजिक हो जाएं। हमारा दायित्व अपने भाव और स्वभाव को बनाए रखना है। यदि वो अच्छा हो तो।
【प्रणय प्रभात】