#आज_का_क़ता (मुक्तक)
#आज_का_क़ता (मुक्तक)
■ कथित अन्तर्मुखीयों के नाम
【प्रणय प्रभात】
“ज़माने से अलग चस्के, लहू में घोल लेने का।
किसी को शौक़ होता है, मुसीबत मोल लेने का।।
न जाने सोचते क्या हैं, ख़ुदी में डूबने वाले।
कोई पैसा नहीं लगता, किसी से बोल लेने का।।”
★संपादक★
न्यूज़ & व्यूज़
श्योपुर (मध्य प्रदेश)
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