Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Sep 2024 · 3 min read

#आज_का_आलेख

#आज_का_आलेख
■ “समय” सरीखा अनुशासित हो “शिक्षक।”
【प्रणय प्रभात】
शिक्षक वो जो शिक्षा दे। शिक्षा वो जो विनम्रता दे। पात्रता और समृद्धि दिलाए।
ऐसा अलौकिक शिक्षक है केवल “समय।” जो उम्र के एक मोड़ तक नहीं, अपितु जीवन भर शिक्षा देता है। प्रतिदिन, प्रतिक्षण, अहर्निश। चाहे वो बुरा हो या फिर भला। समय एक समर्थ शिक्षक की भांति पग-पग पर शिक्षा व अनुभव दे कर हमें परिपक्व बनाता है। बिना किसी बस्ते, किसी पुस्तक के।
समय का लौकिक स्वरूप ही शिक्षक है। जो जीवन रूपी भवन की नींव रखने से लेकर शिखर तक निर्माण व सज्जा तक अपनी भूमिका निभाता है। एक सामर्थ्यवान व अनुशासित शिक्षक के रूप में। प्राणपण से, बिना रुके, बिना थके। जो हर शिक्षक को अपने जैसा बनने व अपने साथ क़दम मिला कर चलने के लिए हर दिन नहीं हर क्षण प्रेरित करता है।
हमारी संस्कृति में प्रथम शिक्षक “मां” को माना जाता रहा है और इस दृष्टिकोण से प्रत्येक शिक्षक को मातृत्व गुण से युक्त होना ही चाहिए। मां के बाद एक शिक्षक ही है जिसकी गोद में निर्माण व प्रलय दोनों पलते हैं। सूर्य व चन्द्रमा की तरह। बिना किसी भेदभाव शिक्षा रूपी किरणें बांटने वाला शिक्षक आज भी देश की भावी नागरिक पीढी गढ़ने वाला शिल्पकार है। जो संसाधन से पूर्व सम्मान का अधिकारी है। संसार में जितनी महान विभूतियां साकार हुई हैं, उन सबके पीछे एक ही शक्ति रही है। जिसे मान-वश “गुरु” तक कहा जाता है। दीक्षा के रूप में दिशा-प्रदाता गुरु का एक प्रतिनिधि मूलतः शिक्षक ही है। फिर चाहे वो मां हो या शालेय अध्यापक।
समर्थ गुरु रामदास, स्वामी रामकृष्ण परमहंस, नीतिपुरुष कौटिल्य (चाणक्य), स्वामी हरिदास, स्वामी नरहरि दास, स्वामी रामानंदाचार्य से लेकर प्रथम उप-राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल क़लाम साहब तक तमाम उदाहरण हैं, जो एक शिक्षक की महत्ता को रेखांकित व प्रतिपादित करते हैं। देश की प्रथम महिला शिक्षक के रूप में सावित्री बाई फुले व शिक्षा क्रांति के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा राव फुले का जीवन आज भी एक बड़ी मिसाल है। उस श्रम व संघर्ष के कारण, जो उन्होंने प्रतिकूलताओं के बीच किया।
समाज व समुदाय को यदि किसी ने समझ, सदाचार व अनुशासन का मंत्र दिया है तो वो समय या शिक्षक ही है। यह बात हर शिक्षक को गौरव के साथ याद रखना चाहिए। ताकि उसे अपनी गरिमा व गुरुता का स्मरण बना रहे। जिस पर महानतम गुरु शिष्य परम्परा निर्भर करती है। तंत्र को भी चाहिए कि वो अपने आश्रय में पलते शिक्षक-विरोधी षड्यंत्र, नौकरशाही रचित प्रयोगात्मक कुचक्र व दमन पर विराम लगाए। साथ ही शिक्षा की दशा व दिशा विचारवान शिक्षकों को एक सुनियोजित व सुनिर्धारित व्यवस्था के अनुसार तय करने दे।
कथित शिक्षक दिवस के नाम पर दिखावे के आयोजन तब सार्थक हैं, जब शिक्षक का सम्मान 365 दिन सुनिश्चित हो। चहेतावादी सिस्टम और चाटुकारिता-पसंद अफ़सरों व नेताओं की जमात कागज़ी प्रमाणपत्रों से लेकर बड़े सम्मानों तक की चयन प्रक्रिया से दूर रखी जाए। शिक्षक सम्मान के मापदंड विधिवत तय हों। उनमें विद्यार्थियों व अभिभावकों की भी एक भूमिका हो, ताकि कोई सम्मान स्वयं को अपमानित या आहत अनुभव न करे। शैक्षणिक संस्थानों को सियासी नुमाइंदों व उनके पुछल्ले गुटबाज़ों का दंडक-वन बनने से बचाया जाए। शिक्षकों की भूमिका नीति-निर्माता व नियंत्रक के रूप में स्वीकार की जाए। जिस पर राजनैतिक व संगठनात्मक छुटभइयों को न हमले की छूट हो, न हस्तक्षेप का अधिकार। यदि यह संभव नहीं तो “शिक्षल दिवस” जैसे किसी उपक्रम या आयोजन के कोई मायने नहीं।
बहरहाल, समय की तरह निष्ठा, क्षमता, समर्पण व अनुशासन जैसे श्रेष्ठ गुणों के साथ अपना दायित्व निभाने वाले प्रत्येक शिक्षक को शिक्षक दिवस की बधाई। जो उक्त गुणों से परे हैं, उन्हें एक अदद पद, वेतन और थोथा रसूख मुबारक। इस प्रजाति के जीवों से सिर्फ़ आग्रह किया जा सकता है कि मां शारदा के मंदिर को अपनी जातिवादी, वर्गवादी, क्षेत्रवादी, भाषावादी सोच व कृत्यों से अपवित्र व कलंकित न करें। विद्यालय परिसरों को जाति, भाषा, क्षेत्र, विषय या व्यवसाय के आधार पर क्षुद्र व कुत्सित राजनीति का अखाड़ा न बनाएं। शुभकामनाएं।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

54 Views

You may also like these posts

आज यूँ ही कुछ सादगी लिख रही हूँ,
आज यूँ ही कुछ सादगी लिख रही हूँ,
Swara Kumari arya
मेरे भीतर मेरा क्या है
मेरे भीतर मेरा क्या है
श्रीकृष्ण शुक्ल
कविता की धरती
कविता की धरती
आशा शैली
प्रेम बसा कण कण में
प्रेम बसा कण कण में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
प्रेम अंधा होता है मां बाप नहीं
प्रेम अंधा होता है मां बाप नहीं
Manoj Mahato
जीवन में उन सपनों का कोई महत्व नहीं,
जीवन में उन सपनों का कोई महत्व नहीं,
Shubham Pandey (S P)
"ज्ञान-दीप"
Dr. Kishan tandon kranti
​दग़ा भी उसने
​दग़ा भी उसने
Atul "Krishn"
प्यारी बहना जन्मदिन की बधाई
प्यारी बहना जन्मदिन की बधाई
Akshay patel
स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
Seema gupta,Alwar
मेरी …….
मेरी …….
Sangeeta Beniwal
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
इश्क के चादर में इतना न लपेटिये कि तन्हाई में डूब जाएँ,
Chaahat
फिदरत
फिदरत
Swami Ganganiya
गुत्थियों का हल आसान नही .....
गुत्थियों का हल आसान नही .....
Rohit yadav
किस क़दर
किस क़दर
हिमांशु Kulshrestha
शैतान मन
शैतान मन
Rambali Mishra
27-28 साल की बिन ब्याही लड़कियाँ और बेरोज़गार लड़के, धरती पर
27-28 साल की बिन ब्याही लड़कियाँ और बेरोज़गार लड़के, धरती पर
पूर्वार्थ
किराये का घर
किराये का घर
Kaviraag
अनैतिकता से कौन बचाये
अनैतिकता से कौन बचाये
Pratibha Pandey
घनाक्षरी
घनाक्षरी
seema sharma
निकलती हैं तदबीरें
निकलती हैं तदबीरें
Dr fauzia Naseem shad
परदेसी की  याद  में, प्रीति निहारे द्वार ।
परदेसी की याद में, प्रीति निहारे द्वार ।
sushil sarna
देशभक्ति(मुक्तक)
देशभक्ति(मुक्तक)
Dr Archana Gupta
काश - दीपक नील पदम्
काश - दीपक नील पदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तेवरी : व्यवस्था की रीढ़ पर प्रहार +ओमप्रकाश गुप्त ‘मधुर’
तेवरी : व्यवस्था की रीढ़ पर प्रहार +ओमप्रकाश गुप्त ‘मधुर’
कवि रमेशराज
गर हो जाते कभी किसी घटना के शिकार,
गर हो जाते कभी किसी घटना के शिकार,
Ajit Kumar "Karn"
"एक ख्वाब टुटा था"
Lohit Tamta
संवेदनाएं
संवेदनाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
🙅आज का मुक्तक🙅
🙅आज का मुक्तक🙅
*प्रणय*
दुखवा हजारो
दुखवा हजारो
आकाश महेशपुरी
Loading...