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29 Nov 2016 · 1 min read

आज से अब से कोई गीत ऐसा गाएँ हम

आज से अब से कोई गीत ऐसा गाएँ हम
चाहे गम मिले या खुशियां बस मुस्कुराएँ हम

जब हदें नहीं कोई खुले इन आसमानों की
भरे उड़ानें हर कोई सारे पर फ़ैलाएँ हम

पाएँ ना तन्हा खुद को ख्वाब ही क्यूँ ना हो
इक दूजे के दिल में ऐसे जगह बनाएँ हम

छोड़ दे अपना गुरूर खिलते हुए गुलाब भी
हंसते हुये चेहरों से चमन सजाएँ हम

कल में आज जैसी बात रहे ना रहे दोस्तो
चलो गुज़रते हुए इन लम्हों में जी जाएँ हम

सौ न सही दस ही सही मगर बुझने से पहले
दिल-दिल में चिराग़ मुहब्बतो के जलाएँ हम

टिक जाय गर आसमाँ में वो आफ़ताब ‘सरु’
सुहानी शाम चाँदनी रातें कैसे पाएँ हम

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