— आज सच की हालत —
सच की हालत आज
किसी तवायफ से कम नही है
तलबगार तो बहुत हैं यहाँ
पर तरफदार कोई नही है !!
सच बोला खुद को बचाना आज
जमाने में दुर्लभ होने लगा
झूठ के पुलिंदे से बंधकर
सारा जैसे जमाना ही खोने लगा !!
झूठ के खरीददार
बाजारों में अब कम नही
तवायफ से जैसे मन
बहलाने वाले दुनिया में कम नही !!
सच इन्तेजार में राह देखता
कोई तो आये तरफदार लेने मुझे
बोलबाला तो मेरा होगा एक दिन
बेशक न आये फिर कोई तलबगार यहाँ !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ