आज मैं एक प्रण ले रहा हूं
आज मैं एक प्रण ले रहा हूं
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आज मैं एक प्रण ले रहा हूं
अपनी सारी दौलत अपने साथ
स्वर्ग ले जाने का प्रण,
जो आज तक किसी ने न किया
वो मैं करके दिखाना चाहता हूं।
सीधा सरल फार्मूला है
जिसे हर कोई जानता है
पर जानकर भी अंजान बनता है
जब तक जीता है
खुद को किसी से कम नहीं समझता है
और तो और
अपने को खुदा से भी ऊपर समझता है।
पर मैं अबोध अज्ञानी हूं
ईश्वर से ही नहीं आप सबसे भी डरता हूंँ।
धन धान्य के अथाह भंडार का बेताज बादशाह हूँ
फिर भी गुमान नहीं करता हूँ।
खुद को निरीह, नीच अधम पापी मानता हूँ
हर समय धन दौलत के पीछे भागता हूँ।
गरीब, बेबस, लाचार कमजोरों की मदद करता हूँ
किसी की आह नहीं लेता
किसी का हक नहीं मारता
किसी को आंसू नहीं देता
साथ ही खुद को सबसे गरीब मानता हूँ।
और दुनिया का सबसे लालची व्यक्ति भी मैं ही हूँ
क्योंकि मैं अपने पुण्य की दौलत के भंडार को
दिन रात बढ़ाने का जतन किया करता हूँ
जिसे अपने साथ स्वर्ग ले जाने का प्रण
मैं आज ले रहा हूँ
धरती का खजाना आप ही रखो
मै तो सिर्फ पुण्य कमाना चाहता
जिसे यहां छोड़कर नहीं
अपने साथ स्वर्ग ले जाना चाहता हूं
जो रोज रोज बढ़ाने का जतन इसलिए तो करता हूँ ।
पूण्य कर्म से नया इतिहास लिखना चाहता हूँ
पुण्य के अथाह दौलत के साथ
स्वर्ग जाना चाहता हूं।
खाली हाथ धरा से जाने के
नियम पलटना चाहता हूँ।
आज मैं ये प्रण ले रहा हूँ।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक स्वरचित