माँ
आज मातृ दिवस पर
क्या लिखूं मांँ के लिए?
सोचती हूंँ
मांँ को भी लिखा जा सकता है क्या?
मांँ ने ही तो है खुद मुझे लिखा,
नौ माह गर्भ में रख कर उसने
क्या कुछ नहीं सहा।
सोचती हूंँ,
मांँ के हर एक त्याग को
शब्दों में समेटा जा सकता है क्या?
मेरे पास शायद नहीं हैं वो शब्द
जिनमें मांँ को व्यक्त कर सकूं।
अतः बस प्रणाम है हर मांँ को
‘मांँ’ होने के लिए…
– शाम्भवी शिवओम मिश्रा